Poem Written by Lakshya Pant, Class-IX B
मंगलमय जंगल
अरे ओ मानव! ...
जंगल करेगा हमारा मंगल,
अब भी रहजा तू संभल,
भविष्य में शायद न रहे ये जंगल।
इसकी रक्षा करना जरूर,
इसे काटने पर मत हो जाना मजबूर।
जब तू इसकी रक्षा करनी भूल जाएगा,
एक दिन ऐसा आएगा, ये जंगल तुझे ही रुलाएगा।
जंगल का सुंदर नज़ारा,
फिर नहीं देख पाएगा दोबारा।
जंगल की रक्षा हेतु खूब नारे लगाना,
इस कविता का उपदेश घर-घर तक पहुंचाना।